दहेज हत्या
भारत परम्पराओं एवं संस्कारों का देश है। यहाँ विवाह जैसी संस्था पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। हर कोई इस बंधन में कभी न कभी बंधता है।परन्तु दहेज़ एक अभिशाप की भांति है। जो दीमक की तरह इस वैवाहिक बंधन को धीरे धीरे कमजोर कर देता है।। आज हमारे देश में दहेज हत्या के कारण महिलाओं का अस्तित्व खतरे में है। प्रतिवर्ष हमारे देश में औसतन एक करोड़ शादियां होती है। जिनमे से हर साल लगभग 7500 महिलाएँ दहेज़ हत्या की शिकार हो जाती है। यह अत्यंत शर्म की बात है कि जिस देश के महापुरुषों ने महिलाओ के सुरक्षा एवं सम्मान की बात की है।
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”
यह कहा है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।” आज उसी देश की महिलाओं का अस्तित्व खतरे में है। जो अपनी ज़िन्दगी एवं अस्मिता की रक्षा के लिए हर पल संघर्ष करती हैं,और अंततः ज़िन्दगी की जंग हार जाती है। ये सब तब हो रहा है जब हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण का युग है शिक्षा एवं कैरियर में लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं। इस आधुनिक भारत में जहां महिलाएं न सिर्फ अपने घर की जिम्मेदारी पूरी सिद्दत से निभा रही हैं। बल्कि परिवार में आर्थिक सहयोग भी कर रही है। इसके बावजूद उनके हिस्से में दर्द ,तकलीफ एवं मौत ही क्यों आती है? कहाँ और कब अंत होगा हमारे देश में होने वाली असमय बेटियों की मौतों का? आखिर इन बेटियों की मौत पर उठने वाली चीखें क्यों नहीं मानवता के दिलों पर दस्तक देती है।
राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार
NCRB के आंकड़ों के अनुसार देश में प्रतिदिन औसतन 21-22 लड़कियाँ दहेज़ हत्या का शिकार होती हैं।
उत्तर प्रदेश हमारा इस मामले में प्रथम स्थान पर है जबकि बिहार दूसरे एवं मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
कन्या सुरक्षा का संकल्प
आइए इस नवरात्रि हम ये संकल्प लें कि जैसे कन्या पूजन में हम दूसरे की बेटियों का आदर सत्कार करते है ठीक उसी तरह शादी के बाद घर में आई बहू का भी हम सम्मान करें। क्योंकि आज हमारे घर किसी की बेटी बहू बनकर आई है, तो कल हमारी बेटी भी किसी के घर बहू बनकर जायेगी। हम कन्या पूजन करें न करें परन्तु कन्या सुरक्षा का संकल्प हर माता-पिता को लेना होगा। तभी हम हर साल होने वाली औसतन 7500 महिलाओं की दहेज हत्या को रोकने में सफल हो पाये।