पुरुष प्रधान समाज में पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार MEN ARE TOO THE VICTIM OF DOMESTIC VOILENCE IN THIS PATRIARCHL SOCIETY

पुरुष प्रधान समाज में पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार MEN ARE TOO THE VICTIM OF DOMESTIC VOILENCE IN THIS PATRIARCHL SOCIETY

घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा का शिकार होने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की अपेक्षा निःसंदेह कम है।
परंतु इस समस्या से वह पीड़ित नहीं यह बलकुल भी सत्य नहीं है।
इसके साथ ही पुरुष किसी महिला द्वारा पीड़ित किया जा सकता है।
यह तथ्य हमारे समाज द्वारा स्वीकार ही नहीं किया जा रहा है।
आखिर है तो यह एक पितृसत्तामक समाज ही लेकिन आज के बदलते परिवेश में स्थितियों में परिवर्तन हुआ है।
महिलाओँ की तरह पुरुष भी घरेलू हिंसा जैसी समस्या से ग्रसित हैं।
हिंसा शारीरिक हो यह आवश्यक नहीं मानसिक एवं भावनात्मक ज्यादा गंभीर रूप ले लेता है।

पुरुष घरेलू हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

NCRB के अनुसार भारत में अब तक कोई सरकारी सर्वेक्षण नहीं हुआ है । जिससे इस बात का पता लग सके कि घरेलू हिंसा में शिकार पुरुषों की तादात कितनी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों की स्थिति को समझते हुए टिप्पणी की थी कि महिलाएं दहेज विरोधी कानून 498 ए का दुरुपयोग कर रही हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठ ने 27 जुलाई 2017 को अपने फैसले में कहा था कि दहेज प्रताड़ना की शिकायत पर विचार करने के लिए समिति गठित की जाए। इसमें धारा 498 ए के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए निर्देश दिए थे।

पुरुष घरेलू हिंसा वैश्विक समस्या

विश्व में भारत अमेरिका के बाद आत्महत्या के मामले में दूसरे स्थान पर है। इसके मुताबिक देश में पुरुषों के आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। हर साल लगभग 95000 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। जबकि पूरी दुनिया में आत्महत्या करने वाले पुरुष लगभग 86% है। महिलाओं के अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा जेल में रहना पड़ता है। और पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा सजा मिलती है। यदि इन आत्महत्या के कारणों पर गंभीरता से विचार किया जाये तो हम पाएंगे कि कहीं न कहीं हमारा घरेलू परिवेश इसके लिए जिम्मेदार है।

NCRB के अनुसार भारत की स्थिति

NCRB राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार भारत की स्थिति पिछले साल 25 मार्च से मार्च 31 मार्च तक की तुलना में इस साल लॉक डाउन के दौरान इसी अवधि में 27% ज्यादा रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। इसमें 21% लोग भारतीय होते हैं। देश भर से में पुरुषों की आत्महत्या के मामले में पश्चिम बंगाल का पहला स्थान है। जबकि मध्यप्रदेश पांचवें स्थान पर है। भारत में स्थित औद्योगिक नगरी उधम सिंह नगर जो कुमाऊं मंडल में है आपराधिक मामलों के लिए चर्चित है।

पुरुष

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार

पुलिस आकलन के अनुसार, पिछले 5 साल में महिला हेल्पलाइन पर 3,428 शिकायतें आई है। इसमें से 721 शिकायतें पुरुषों ने अपने पार्टनर के खिलाफ दर्ज कराई है। जिसमें 2016 में 27 पुरुषों ने 2017 में 192, 2018 में 39 और 2019 में 248। इस साल फरवरी माह तक में अपनी पत्नियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला हेल्पलाइन में शिकायत की है।

घरेलु हिंसा शब्द महिलाओं से जुड़ा हुआ है। लेकिन आज के बदलते परिवेश में कहीं न कहीं पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2015 जैसे कड़े कानून है। वही पुरुषों के लिए कहीं कोई कानून नहीं है। जबकि शायद हमारे समाज में इसकी भी आवश्यकता है।

मधु गुप्ता चेयरमैन

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