मानव पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य के लिए प्रकृति NATURE FOR HUMAN ECOSYSTEM AND HEALTH
“जूनोटिक रोग”
इबोला, सार्स, जीका, एचआईवी/एड्स, वेस्ट नाइल बुखार और अब कोविड-19 ये कुछ ऐसी हाई प्रोफाइल बीमारियां है जो दशकों से हमारे बीच समय-समय पनपते रहे है। जब-जब मानव ने प्रकृति के साथ हद से ज्यादा छेड़छाड़ किया है तब-तब प्रकृति ने अपना उग्र रूप दिखाया है और ऐसी महामारी जैसी समस्या किसी एक देश तक सिमित न होकर दुनिया के विभिन्न हिस्सो में फ़ैल जाती है। इन सब के बीच एक चीज बिल्कुल समान होतीथी। जिसे वैज्ञानिक लोग “जूनोटिक रोग” अर्थात प्राणीजन्य रोग कहते हैं। अर्थात संक्रमण जो जानवरों और मानव के बीच पैदा होते हैं और उनमें से कुछ बीमारी और मौत को उनके मद्देनजर छोड़ देते हैं।
मानव समाज में नवपाषाण युग से जूनोटिक रोग
जूनोटिक रोग नवपाषाण युग से ही हमारे समाज में रहा है। जैसे-जैसे दुनिया की आबादी 8 अरब की ओर बढ़ रही है और विकास के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध शोषण और विनाश मानव द्वारा किया जा रहा है, उससे मनुष्य और जानवर एक दूसरे के ज्यादा करीब आ गए हैं जिसके कारण बीमारियों का बढ़ना बहुत ही आसान हो गया है। क्योंकि कम होते जंगल के घनत्व के कारण जानवर अब मानव समुदाय के आस-पास रहने को विवश गए हैं जिस कारण उनसे निकलने वाले संक्रमण से मानव शरीर शीघ्र ही प्रभावित हो जाता है।
मानव समाज के लिए घातक पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण अत्यंत घातक है। हर साल 99 लाख लोग वक्त से पहले ही पर्यावरण प्रदूषण के कारण मृत्यु का शिकार हो जाते हैं क्योंकि प्रदूषण की रोकथाम के लिए हम अपने कचरे का प्रबंधन कैसे करते है, इसमें सुधार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि कचरे के कारण उत्पन्न होने वाला प्रदूषण मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है जिसके कारण व्यक्ति के साथ-साथ देश और समाज को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ता है।
जब हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तो प्रकृति हमारी रक्षा करती है
भविष्य में आने वाली ऐसी महामारियों के जोखिम को कम करने और लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से बचाने की हमारी क्षमता को निवास स्थान के विनाश को रोककर और कार्यशील पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और संवर्धित करके ही बढ़ाया जा सकता है। स्वास्थ्य संकट के कारण होने वाले खर्चे की अपेक्षा रोकथाम ज्यादा बेहतर और किफायती है। वन हेल्थ दृष्टिकोण महामारी के कारणों और प्रसार को सीमित करने के लिए मानव, जानवरों और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर समग्र रूप से केंद्रित है। नीतियां और राजकोषीय निवेश प्रकृति की रक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के बीच संबंध को सुदृढ़ कर सकते हैं क्योंकि जब हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तो प्रकृति हमारी रक्षा करती है।
“When we protect Nature, it protect us.”
स्रोत: UNEA
Translated in hindi
मधु गुप्ता चेयरमैन
डी एस एच आर डी
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